प्रेम के सात वचन :-
हमारे आस-पास यह वृक्ष, पौधे ,पशु देख हैं क्योंकि आपने देखा है| जब प्रेम की बात आती है तो लोग किसी का मुख स्मरण कर लेते हैं ऐसी आँखे, वैसी मुस्कान तिरछी बुआ, घने बाल क्या यही प्रेम का अस्तित्व है नहीं यह उस शरीर का अस्तित्व है जिसे हमारी आंखों ने देखा है और हमने स्वीकार कर लिया परंतु प्रेम प्रेम भिन्न है| उस वायु की भांति है जो हमें दिखाई नहीं देती किंतु वही हमें जीवन देता है संसार किसी स्त्री को क्रूर कह सकता है क्योंकि वह अपनी तन की आंखों से देखता है परंतु संतान उसी माता को संसार में सबसे सुंदर समझता है क्योंकि वह भाव से देखता है| तन की आंखों से देखोगे तो वैसे भी पहचान नहीं पाओगे इसलिए प्रेम को समझना है| तो मन की आंखें खोलो|
यह प्रेम वो भाव है जो इस संसार में सबसे पवित्र है, सबसे शुद्ध है क्योंकि प्रेम और रिश्ते भाग्य से मिलते हैं ये प्रेम ही हैं जो रिश्तो में मिठास भर देता है, परिवार में एकता प्रदान करता है, एक अजनबी को मित्र बना देता है क्योंकि यह संसार का सबसे शक्तिशाली बंधन है अगर प्रेम हो तो लोग दिल में उतर जाते हैं और अगर ना हो तो लोग दिल से उतर जाते हैं ये प्रेम ही है जो माता-पिता को बच्चों से बांध कर रखती है| एक व्यक्ति को मित्रता बनाऐ बनाने रखने की शक्ति देती है ये प्रेमी ही है जो प्रेमी को अपनी प्रेमिका के प्रति स्नेह उत्पन्न करते हैं| अगर प्रेम सच्चा हो तो हालात चाहे कैसी भी हो वह आपको कभी छोड़कर नहीं जा सकते हैं क्योंकि प्रेम में वह शक्ति है जो आपके लिए हर बंधन तोड़ सकती है परंतु स्वयं किसी बंधन में नहीं बनती है लेकिन कभी-कभी रिश्तो में कड़वाहट भर जाती है| एक- दूसरे से नाराजगी होने लगती है| लोग एक-दूसरे के प्रति नफरत करना शुरू कर देते हैं| एक छोटी सी गलती भी भारी पड़ जाती है गलती तो हर व्यक्ति से होती है लेकिन इसका मतलब यह तो नहीं कि आप रिश्ते ही तोड़ दें इस संसार में सभी लोग आपकी तरह नहीं है| सबके अपने अपने विचार अपने अपने तरीके हैं परंतु कुछ लोग अपनी गलती पर माफी भी मांग लेते हैं लेकिन आप को माफ करने की जरूरत ही नहीं है| आपको उन्हें माफ करने के लिए पहले दोषी ठहराना होगा तभी आप उन्हें माफ कर पाएंगे मैं कह रहा हूं आप उन्हें स्वीकार कीजिए वह जैसे हैं वैसे ही जब आपने स्वीकार करेंगे तो माफी की आवश्यकता ही नहीं होगी अगर एक बार आपने उन्हें दोषी ठहरा दिया तो आप चाहे जितनी भी तरीके से उन्हें माफ कर दे वह दोष आपके मन से कभी नहीं जाएगा आप भूल जाएंगे कि उनसे कोई गलती हुई है उन्हें एक मौका और दीजिए अगर वह सही हुई तो वह फिर से आपके हो जाएंगे और अगर वह सही नहीं हुऐ तो उनको उनके हालात पर छोड़ दीजिए क्योंकि माफ करने वाला नहीं स्वीकार करने वाला बनना है रिश्ते जीवन के हिस्से होते हैं आपको किस्मत से ही मिलते हैं खुशनसीब होते हैं वह लोग जिन्हें प्रेम और परिवार दोनो ही नसीब होता है| लोगों को स्वीकार करना सीख लीजिए वह जैसे हैं वैसे ही आपको उन्हें बदलने की आवश्यकता नहीं है आपका अनंत प्रेम ही उन्हें बदल देगा
सच्चे प्रेम के सात वचन होते हैं जो भी प्रेमी और प्रेमिका इन सात वचन का अनुसरण करते हैं उनका प्रेम कभी भी उनसे अलग नहीं हो पाता है यह सात वचन एक दूसरे को एक दूसरे से बांध कर सकते हैं आइए सात वचनों को मैं आपको बताता हूँ
1. प्रेम का प्रथम वचन :-
दो प्रेमीयो के जीवन में किसी भी परिस्थितियां स्थितियां क्यों ना हो दो प्रेमी एक दूसरे का साथ कभी नहीं छोड़ेंगे जीवन में एक दूसरे के बीच कितनी कितना ही मनमुटाव हो यदि किसी के ऊपर कोई मुसीबत या समस्याएं तकलीफ हो तो एक दूसरे की सहायता करेंगे एक दूसरे का सुख दुख बाटेंगे यही दो प्रेमी की निशानी है एक दूसरे का जीवन भर साथ निभाएंगे
2. प्रेम का दूसरा वचन :-
जब प्रेमी किसी घटना के कारण, अनुचित कार्य या बात से डिप्रेशन में चला जाए या गया है किसी दूसरे की प्रेम में पड़ गया हो, दुनिया के चकाचौंध में कहीं गुम गया हो प्रेमी खो जाए तो अपना प्रेम पुनः पाने के लिए समस्त संसार से ना पूछना पड़े बल्कि अपने प्रेम को पाने का हर संभव प्रयास करें जो भी तरीके हो वह करें तथा प्रेम संबंध को परिशुद्ध रूप से अंत तक निभाए उसी बीच में अधूरा ना छोड़े समस्याओं से डरे ना समस्याओं को पार करते हुए अपने प्रेम को वापस लाएं और जीवन भर उनका साथ निभाए|
3. प्रेम का तीसरा वचन :-
अपने प्रेमी से मन से प्रेम करें तन से नहीं जब प्रेम सच्चा होता है तो दो शरीर की आत्मा एक हो जाती है एक को चोट लगती है तो दूसरे को उसका महसूस होता है और दर्द होता हैं उसका दुख स्वयं का दुख है उनके प्रेम में इतना रम जाए कि हर एक में अपना ही प्रेम नजर आए
4. प्रेम का चौथा वचन :-
यदि प्रेम और प्रेमिका अनुचित मार्ग पर चले जाए जैसे कोई गलत कार्य करने लग जाए, कोई गलत आदतें, गलत दोस्तों के साथ, गलत जगह पर जाना, गलत व्यवहार करना गलत रास्ते पर ना जाए तो पूरे बल से उस प्रेमी या प्रेमिका को रोकना होगा, उन्हें समझाना होगा अच्छे और सही का फर्क बताना होगा सही मार्ग पर फिर से वापस लाना होगा क्योंकि जहां अन्नत प्रेम होता है वहाँ दूरी रखना अनुचित होता है|
5. प्रेम का पांचवा वचन :-
दो प्रेमियों को सदैव एक- दूसरे के वास्तविक रूप को याद दिलाना होगा कि वह प्रेमिका और उसका प्रेमी है यह एक जिम्मेदारी और कर्तव्य है एक दूसरे के लिए जिम्मेदारी और कर्तव्य को निभाते हुए अपने कर्मों को कभी नहीं भूलना होगा प्रेम के साथ-साथ कर्म करना भी आवश्यक होता है कर्म से जीवन बनता है बिना कर्म के जीवन नहीं होता है
6. प्रेम का छठा वचन :-
दो प्रेमी किसी कारण से एक-दूसरे से दूर हो जाएं तो यदि अभी कोई नाराजगी हो तो वह एक दूसरे से अलग भी हो जाएं और वापस नाराजगी खत्म हो जाए, कोई मिस स्टैंडिंग हो वह खत्म हो जाए तो वह वापस मिले तो एक साथ रहे तो उनके प्रेम में तनिक भी कमी नहीं आनी चाहिए हर पल एक एक-दूसरे के दुख हरने का याचना करना चाहिए एक-दूसरे के खुद एवं समस्या को समझना चाहिए समय-समय पर उनसे दुख सुख की बातें करनी चाहिए उनके सुख-दुख को जाना चाहिए
7. प्रेम का सातवां वचन :-
समय आने पर प्रेमी को अपनी प्रेम के लिए त्याग, समर्पण, बलिदान, क्षमा जो कुछ भी करना हो वह करें हर संभव प्रयास करना होगा जिससे उसका प्रेम मिल जाए जिससे आप प्रेम का आनंद ले पाएंगे और आनंद से जीवन चला पाएंगे
प्रेम क्या हैं और कितने प्रकार का है
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