मानव प्रवृत्ति/व्यक्तित्व(Human Tendency):-
इस संसार में जन्मे प्रत्येक मानव की अपनी एक प्रवृत्ति होती है| जिसके अनुसार अपना व्यवहार करता है| जिसे मानव प्रवृत्ति कहा जाता है इन प्रवृत्ति के व्यक्ति हर स्थान पर पाए जाते हैं अथार्त तीनों लोगों में पाए जाते है| मानव प्रवृत्ति निम्न प्रकार की होती है जो इस प्रकार है|SANGUINE,
CHOLERIC,
MELANCHOLIC,
PHLEGMATICमानव में यह चारों प्रवृत्ति होती है| पर इन चारों प्रवृत्ति में से जो प्रवृत्ति अधिक होती है| उनके अनुसार व्यवहार करता है| प्रत्येक मानव में इनमें से कोई ना कोई प्रवृत्ति होती है| यदि प्रत्येक व्यक्ति अपनी-अपनी प्रवृतियां जान लेता है और समझ लेता है| और सामने वाली की प्रवृतियां की जान लेता है तो एक दूसरे के साथ रहने बात करने एक दूसरे को समझने व्यवहार करने सही संबंध बनाने आदि में सुविधा होती है| यदि सामने वाला सामने वाले व्यक्ति की प्रवृत्तियों को समझता है व जानता है तो उसी के अनुसार व्यवहार करेगा और बातचीत करेगा तो सामने वाले को लगेगा कि वह व्यक्ति उसेे बहुत अच्छी तरह समझता है| इस से अच्छे संबंध और परिवार बनते हैं |यह चारों मानव प्रवृत्ति निम्न प्रकार है|
- SANGUINE
- CHOLERIC
- MELANCHOLIC
- PHLEGMATIC
इनकी जानकारी निम्न प्रकार है|
1. SANGUINE :-
SANGUINE प्रवृत्ति के मानव म्यूजिक, डांस, खुश होना, चिल्लाना, लाइफ मस्त, उत्साहित आदि प्रवृति के होते हैं| इस प्रकार के व्यक्ति किसी भी परिस्थिति चाहे सुख या दुख हो इसी प्रकार की प्रवृत्ति का व्यवहार करते हैं|
Sanguine |
इस प्रकार के मानव प्रवृत्ति के व्यक्ति के गुण और अवगुण इस प्रकार है|
गुण :-
जीवंत, विनोदशील, मिलनसार, विश्वास जाग्रतकर्ता, स्फूर्ति दायक, प्रफुल्लित, प्रवर्तक, सहज, आशावादी, मजाकिया
अवगुण :-
ढीठ, अनुशासन विहीन, दोहरावपूर्ण, भुलक्कड़, बीच में बोलना, तरंगी ,बतरतीब, स्वतंत्र, आसानी से क्रोध, नादान
2. CHOLERIC :-
CHOLERIC प्रवृत्ति के मानव अनुशासन शील, मैनेजमेंट गुरु, डिसिप्लिन मास्टर, लीडरशिप इस तरह के होते हैं जो हर कार्य को अनुशासनता के साथ करते हैं हर कार्य और बात के लिए बहुत स्ट्रिक्ट होते हैं और उनके सिद्धांतों और सिस्टम के अनुसार करते हैं ऐसा ही व्यवहार करते हैं जीवन को अनुशासनता के साथ चलाते हैं तथा इस प्रवृत्ति के व्यक्ति बहुत साहसी, उचित सकारात्मक सोच वाले और आत्म निर्भर होते हैं
Choleric |
इस प्रकार के मानव प्रवृत्ति के व्यक्ति के गुण और अवगुण इस प्रकार है|
गुण :-
अवगुण :-साहसी, विश्वासोत्पादक, दृढ- इच्छापूर्ण, प्रतिस्पर्धी, उपायकुशल, आत्मनिर्भर ,सकारात्मक, असंदिग्ध, स्पष्टवादी, सशक्त
रोबवाला, सहानुभूति विहीन, प्रतिरोधी, मुंहफट, अधीर, स्नेह रहित जिद्दी, गर्वीला, विवादपूर्ण, दुस्साहसी
3. MELANCHOLIC :-
MELANCHOLIC प्रवृत्ति के मानव हर कार्य और बात की बहुत गहराई तक जाकर जांच करते हैं क्योंकि इन्हें प्रत्येक कार्य और बात को पूरे प्रफेक्शन के साथ करते है| इन प्रवृत्ति के मानव प्रत्येक कार्य को विश्लेषणात्मक के साथ, लगनशील के साथ, संवेदनशील होकर, पूरे क्रमबद्ध के साथ करते हैं इस प्रवृत्ति के होते हैं|
इस प्रकार के मानव प्रवृत्ति के व्यक्ति के गुण और अवगुण इस प्रकार है|
गुण :-
अवगुण :-विश्लेषणात्मक, लगन शील, आत्मत्यागी, ध्यान रखने वाला, आदर पूर्ण ,संवेदनशील, योजनाकार, समयानुकूल, क्रमबद्ध वफादार
झेपू, क्षमाहीन, विदवेषी, बतगडी, असुरक्षित, अलोकप्रिय, खुशी मुश्किल, निराशावादी, विमुख, नकारात्मक
4. PHLEGMATIC :-
PHLEGMATIC प्रवृत्ति के मानव बहुत शांत, अनुकूलशील, आलशी इस तरह के होते हैं और यदि जो कार्य लेटे- लेटे हो रहा है उसे बेट- बेटे हो रहा है तो उसे खड़े होकर क्यों करें ऐसे होते हैं इस तरह के व्यक्तित्व वाले व्यक्ति बहुत आज्ञाकारी होता है दूसरे व्यक्तियों के सामने बहुत शर्मिला होता है किसी भी कार्य को करने में समय लगाता है
इस प्रकार के मानव प्रवृत्ति के व्यक्ति के गुण और अवगुण इस प्रकार है|
गुण :-
अनुकूलनशील,शांत, आज्ञाकारी, नियंत्रित, संयत, संतुष्ट, धैर्यवान, शर्मिला ,भद्र, दोस्ताना
अवगुण :-
भावशून्य, उत्साहहीन, अल्पभाषी, भयभीत, अनिर्णायक रुचिहीन, झिझक वाला, मध्य मार्गी, लक्ष्य हीन, लापरवाह
इन सभी मानव प्रवृत्तियों के गुण व अवगुण होते हैं जिनमें से गुणो को जानिए और पहचानिए उने अपनाऐ तथा अवगुणों को त्यागीऐ इससे उच्च व्यक्तित्व वाला इंसान बनता है
- प्रत्येक व्यक्ति को अपनी प्रवृत्ति कैसी है सामने वाली की प्रवृत्ति कैसी है | तथा सामने वाले को सामने वाली की प्रवृत्ति के अनुसार व्यवहार या बात करना चाहिए ऐसा करते हैं तो इस जगत में आधि से ज्यादा समस्या का समाधान हो जाएगा एवं जीवन सरल हो जायेगा |
- इसे जगत में 98 प्रतिशत पिता-पुत्र एक-दूसरे से बोलते नहीं क्योंकि पिता की प्रवृत्ति अलग और पुत्र की प्रवृत्ति अलग होने के कारण और दोनों एक दूसरे की प्रवृत्ति को बदलना नहीं चाहती क्योंकि इगो टकरा जाता है| यदि दोनों एक दूसरे की प्रवृत्ति को जानले ओर समझले एवं वेसा ही व्यवहार करते हैं| तो पिता पुत्र की हर समस्या समाप्त हो जाएगी और जीवन सरल बन जाएगा |
- इसी प्रकार से आधी से ज्यादा सास बहू की बनती नहीं है क्योंकि उनकी प्रवृतियां विपरीत होती है यदि एक दूसरे की प्रवृत्तियों को जान ले तो उनके अनुसार व्यवहार करें जैसे यदि सास choleric है| और बहू Sanguine है तो इसका मतलब सास डिसीप्लाइंस, अनुशासन की है और बहू मजाकिया, मिलनसार, उत्साहित की है तो यदि सास बहू के अनुसार चले और बहू को भी अपनी सास के अनुसार चले तो उनके बीच संबंध में स्पष्टा व मजबूत होते हैं
- उसी प्रकार यदि पति-पत्नी एक-दूसरे की मानव प्रवृत्ति को जान लें और समझे और उसी के अनुसार व्यवहार करें तो संबंध टूटने और तलाक जैसी स्थितियां नहीं आएगी और एक- दूसरे का जीवन ओर साथ ही बच्चों का जीवन खराब होने से बच जाएगा इन सभी बातों को ध्यान में रखें तो एक बहुत अच्छा जीवन और परिवार बनता है
- यदि सामने वाला Sanguine है तो Sanguine जैसा व्यवहार, Choleric है तो Choleric जैसा व्यवहार, Melancholic है तो Melancholic जैसा व्यवहार, Phlegmatic है तो Phlegmatic जैसा व्यवहार करना चाहिए उसके सामने वाले को लगता है कि वह उसे बहुत अच्छी तरह से समझता है इससे एक दूसरे को समझने में क्लारे की आती है वह अपनी पूरी बात को खुलकर करता है और यदि इन बातों को ध्यान में रखें तो एक अच्छा जीवन आप बना सकते हैं और एक- दूसरे के प्रति कोई द्वेष नहीं होगा और परिवार में हर बार खुशाली ही रहेगी
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