मानवीय अपेक्षा जो नहीं करनी चाहिए (Human Expectation) :-
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Expectation |
इस जगत में प्रत्येक व्यक्ति यह चाहता है कि सामने वाला उस के अनुसार कार्य करें, बात, व्यवहार और संबंध आदि बनाए या जो भी करें वह सब उसके मन या जो वह चाहता है उसके अनुसार करें यही अपेक्षा कहलाती है| इस जगत में प्रत्येक व्यक्ति एक- दूसरे से अपने- अपने मन के अनुसार अपेक्षाएं करता है |हर संबंध से जुड़ा व्यक्ति जैसे:- माता-पिता, पति-पत्नी या पुत्र, दोस्त, सगे- संबंधी आदि रिश्ते-नाते में बहुत सी अपेक्षाएं रखते हैं कि यदि उनकी अपेक्षा के अनुसार खड़े नहीं उतरे तो उनके संबंध टूट जाते हैं| एक-दूसरे में नाराजगी, परिवार में दरार और मनुष्य दुखी हो जाता है| यह अपेक्षा हर जगह की जाती है जैसे :- परिवार में प्रत्येक सदस्य एक- दूसरे से करते हैं, कंपनी में प्रत्येक पाटनर करते हैं, ऑफिस में मालिक और कर्मचारियों से करते हैं| वह चाहते हैं कि वैसाई कार्य करें आदि पर मनुष्य यह जानते हुए भी कि सामने वाला उनकी अपेक्षा पर खडा नहीं उतर सकता तो उस व्यक्ति से ऐसी अपेक्षा नहीं लगानी चाहिए जिससे कि आगे चलकर उन अपेक्षाओं के पूरा ना होने पर व्यक्ति बहुत दुखी हो जाता है या टूट जाते हैं| कहीं संबंध व परिवार टूटने की कगार पर या टूट जाते हैं| इसीलिए तो कई पति- पत्नियों के तलाक हो जाते हैं|, माता- पिता, पुत्र से दूर हो जाते हैं और वृद्ध आश्रम में दुखी व बेसहारा हो जाते हैं और इसी प्रकार जीवन खराब हो जाता है इस जगत में कुछ अपेक्षाएं जायज है और कुछ नाजायज है जो जायज अपेक्षा एवं व्यक्ति से की जा सकती है पर जो अपेक्षा नाजायज है| वह व्यक्ति से ना करें इस प्रकार कुछ अपेक्षा है जो व्यक्ति से नहीं करनी चाहिए वह इस प्रकार है| इसके महत्वपूर्ण बिन्दु नीचे है
1. वह मेरे हिसाब से जीने चाहिए :-
प्रत्येक व्यक्ति चाहता है कि यह जगत उसके हिसाब से चले, परिवार में माता चाहती है कि घर, बहु- बेटा पति प्रत्येक सदस्य उनके अनुसार चले और इसी प्रकार पीता, बहू- बेटा सभी इस प्रकार की अपेक्षा करते हैं | ऑफिस में मालिक चाहता है कि कर्मचारी उसके अनुसार जीए, टीचर अपेक्षा करता है कि छात्र उसके अनुसार जीए हर संबंध, परिवार, यारी दोस्ती आदि चाहते हैं कि मेरे हिसाब से जीए इस प्रकार की अपेक्षा नहीं करनी चाहिए| क्योंकि हर व्यक्ति आपके अनुसार अपना जीवन नहीं जी सकता हर व्यक्ति अपना जीवन अपने अनुसार जीना चाहता है उसे स्वतंत्रता चाहिए उसकी स्वतंत्रता नहीं छिननी चाहिए इससे रिश्ते में कडवाट आ जाती है और अपेक्षाओं की पूरा ना होने पर कई माता-पिता आश्रम मे दुखी व अकेले हो जाते हैं| इस प्रकार कई आफिस व बिजनेस अरस- परस पर या बंद हो जाते हैं और कई संस्थाऐ और ग्रुप बिखर जाते हैं|
2. वो मेरा कहना मानने चाहिए. :-
इस जगत में प्रति व्यक्ति चाहता है की हर व्यक्ति उसका कहना मानने चाहिए| जैसे:- परिवार में सांस चाहती है कि बहू उसका कहना माने और बहू भी यही अपेक्षा करती है परिवार में प्रत्येक सदस्य चाहे छोटे हो या बड़े सभी चाहते हैं कि उनका कहना माना जाए हर रिश्ते- नाते, ग्रुप, बिजनेस, ऑफिस में सीनियर- जूनियर, यारी- दोस्ती सभी जगह लोग चाहते हैं कि उनका कहना माने यह अपेक्षा रखते है| जब इस अपेक्षा पर खरे नहीं उतरते तो मानव दुखी और निराश हो जाता है वह फिर कहते हैं कि वह मेरा कहना नहीं मानता है लेकिन परिवार में माता-पिता का कहना पुत्र- बहु नहीं मानते हैं, सगे- संबंधि कहना नहीं मानते, दोस्त एक दूसरे का कहना नहीं मानते, इसी प्रकार हर क्षेत्र व सम्बन्धों में इस तरह की अपेक्षा नहीं रखनी चाहिए अपेक्षाएं पूरी नहीं होने पर व्यक्ति दुखी व निराश तथा मनमुटाव ,रिश्तो में दरार हो जाती है| इसीलिए ऐसी अपेक्षा नहीं करनी चाहिए यदि आप दूसरों का कहना मानेंगे तो लोग आपका कहना मानेंगे |
3. वो परफेक्ट होने चाहिए :-
हर व्यक्ति चाहता है कि सभी परफेक्ट होनी चाहिए यदि आप चाहते हैं कि सामने वाला हर कार्य में परफेक्ट हो जैसी परिवार में सांस जाती है की बहू हर कार्य में परफेक्ट हो पति-पत्नी एक- दूसरे से अपेक्षाएं करते हैं कि वह परफेक्ट हो हर क्षेत्र व संबंधों में व्यक्ति चाहता है कि सामने वाला हर कार्य व बात में परफेक्ट होना चाहिए परफेक्टता से उस चीज को करे| ऐसी अपेक्षा नहीं करनी चाहिए व्यक्ति को क्योंकि जब अपेक्षा के विपरीत कार्य होता है तो व्यक्ति दुखी व निराश, संबंधों में कड़वाहट आ जाती है क्योंकि हर व्यक्ति हर कार्य में परफेक्ट नहीं होता यदि हम जानते हैं | जिस कार्य के लिए जिस व्यक्ति को चुनते हैं| यदि वह उस कार्य में कमजोर हो और आप चाहते हो इस को वह पूरी परफेक्ट से करेगा ऐसी अपेक्षा नही करनी चाहिए|
4. उनको मेरा दिमाग पढ़ना चाहिए:-
व्यक्ति चाहता है कि सामने वाले से की उसको सोचना तो चाहिए कि मैं क्या सोचता हूं ऐसी अपेक्षा करते हैं| यदि पति -पत्नी मैं कोई बात हो जाती है तो पति एवं पत्नी एक- दूसरे से कहते हैं कि मैं केसे क्या सोचता या सोचती हूं तुम मुझे समझ नहीं पा रहे हो और पति कहता है कि तुम इतने सालों में मुझे समझ नहीं पाऐ इसी बात से भी पति- पत्नीयौ के अधिकतर सम्बन्ध टुटते है| जो भी बात हो उसे स्पष्ट कहना चाहिए जीवन के हर क्षेत्र व संबंधों में यह अपेक्षा नहीं करनी चाहिए कि आप जो सोच रहे हैं | वही सामने वाला भी सोचे ऐसी अपेक्षा नहीं करनी चाहिए|
5. वो मुझे समझना चाहिए :-
प्रत्येक व्यक्ति चाहता है कि सामने वाला व्यक्ति मुझे समझे ऐसी अपेक्षाएं नहीं करें जीवन की दृष्टि में प्रत्येक व्यक्ति चाहता है कि उसे समझे जैसे पति-पत्नी दोनों चाहते हैं कि एक दूसरे को समझना चाहिए रिश्ते नाते खराब हो जाते हैं कईयों के जीवन बर्बाद हो जाते हैं क्योंकि एक दूसरे को समझने से व्यक्ति अपने आप को नहीं समझ पाता है
6. उनको मुझे सपोर्ट करना चाहिए :-
हर व्यक्ति अपेक्षा रखता है कि सभी उसका सपोर्ट करें हर प्रकार के क्षेत्र व संबंधों में सभी लोग यह चाहते हैं कि उनका सपोर्ट करें | पत्नी चाहती हूं कि पति उसका सपोर्ट करें माता-पिता चाहते हैं कि पुत्र उनका सपोर्ट करें ऑफिस में कर्मचारी चाहते हैं कि अन्य कर्मचारी उनका सपोर्ट करें एक छात्र जाता है कि अध्यापक उनका सपोर्ट में बोले आदि आधि से ज्यादा व्यक्ति चाहते हैं कि व्यक्ति उनका सपोर्ट करें ऐसी अपेक्षाएं रखते हैं जो नहीं रखनी चाहिए दी आपने किसी का सपोर्ट किया होगा तो आगे भविष्य में प्रकृति आपका सपोर्ट जरूर करेगी यदि उसमें आपका सपोर्ट नहीं कर पाया तो आप को निराशा और दुख होता है व्यवहार बिगड़ जाता है
7. जैसे मैं उन्हें ट्रीट करू वैसे ही वह मुझे ट्रीट करनी चाहिए :-
जगत में हर व्यक्ति चाहता है कि हम जैसा दूसरों को ट्रीट करे वैसा ही उसे भी ट्रीट करना चाहिए ऐसी अपेक्षा रखता है| किसी भी क्षेत्र व संबंध में यह अपेक्षा रखते हैं कि यदि कोई व्यक्ति या सगे- संबंधी को आपके सामर्थ्य के अनुसार ट्रीट आव आदर -सम्मान, कोई सपोर्ट ,किसी फंक्शन या विवाह में जो नेक दिया आदि वैसा ही आप सामने वाले से अपेक्षा रखते हैं तो यह गलत है | यदि उसका सामर्थ्य उस समय आप से कम हो, आव-आदर सम्मान, सपोर्ट कोई, नेक आदि यह सब उन प्ररिस्थिती व समय के अनुसार करेगा इसलिए अपेक्षा नहीं रखनी चाहिए|
8. वो पहले जैसे नहीं रहे :-
प्रत्येक व्यक्ति चाहता है कि सामने वाला एक जैसा रहे मतलब कि उसमें कोई बदलाव नहीं होना चाहिए जैसे:- पत्नी और पति में कोई बात हो जाती है तो पत्नी और पति एक- दूसरे के लिए समझते हैं कि वह अब पहले जैसे नहीं रहे वह एक दूसरे के प्रति अपेक्षा रखते हैं कि वह सामान रहे थे माता- पिता अपने पुत्र से अपेक्षा रखते हैं कि विवाह के बाद वैसा ही रहेगा आदि प्रत्येक क्षेत्र व संबंध में व्यक्ति एक- दूसरे के समान व्यवहार और व्यक्तित्व समान होने चाहिए | ऐसी अपेक्षा रखते हैं जो गलत है क्योंकि व्यक्ति समय व परिस्थितियों के अनुसार व्यक्ति का व्यवहार, व्यक्तित्व , कार्य सभी बदल जाते हैं| क्योंकि परिवर्तन प्रकृति का नियम होता है इस प्रकार अपेक्षा नहीं रखनी चाहिए|
9. वो मेरे पास रहने चाहिए :-
एक व्यक्ति- दूसरे व्यक्ति से चाहता है कि वह हमेशा मेरे पास रहने चाहिए ऐसी अपेक्षा करते हैं| एक कपल चाहता है कि एक -दूसरे के साथ व पास रहने चाहिए परिवार में माता-पिता चाहते हैं कि बच्चे इधर-उधर ना जाऐ| उनके साथ व पास रहने चाहिए आदि ऐसी अपेक्षा नहीं रखनी चाहिए क्योंकि समय और परिस्थितियों तेय करती है कि व्यक्ति किसके साथ और पास रहने चाहिए|
10. वो हमेशा मुझसे प्यार करने चाहिए:-
संसार में प्रत्येक व्यक्ति अपेक्षा करता है कि सभी उससे प्यार करें पति -पत्नी चाहते हैं कि एक-दूसरे से प्यार करें और किसी से नहीं, माता-पिता भी यही चाहते हैं ऐसे हर क्षेत्र व संबंध में व्यक्ति चाहते हैं कि सिर्फ उससे प्यार करें ऐसी अपेक्षा रखता है पर क्या एक व्यक्ति का संबंध एक ही व्यक्ति से होता है नहीं यदि व्यक्ति पुत्र है तो अपने माता-पिता,भाई, बहन,पत्नी, बच्चे, दादा- दादी आदि सभी से प्यार करेगा किसी एक के लिए नही होता है| जीवन में इसीलिए ऐसी अपेक्षा नहीं रखनी चाहिए
यह सभी अपेक्षा व्यक्ति को सामने वाले से नहीं रखनी चाहिए क्योंकि जब सामने वाला आप की अपेक्षा के विपरीत होता है तो दुख , निराशा, संबंध में कड़वाहट और जीवन खराब हो जाता है इसीलिए तो आज इन अपेक्षा के कारण कई माता-पिता दुखी और निराश , वृद्ध आश्रम पर इधर-उधर भटकते रहते हैं कई पति -पत्नी के संबंध कमजोर व तलाक हो जाते हैं इससे अच्छे- अच्छे परिवार और संबंध कुछ क्षणों में टूट जाते हैं कई बड़ी कंपनियां, ऑफिस ,संस्थाएं ,ग्रुप कमजोर पड़ते हैं और टूट जाते हैं इसलिए अपेक्षा वह रखनी चाहिए जो व्यक्ति पूरी कर सके वह नहीं जो पूरी नहीं कर सके इससे आपका जीवन सरल और खुशी रहेगा और इस जगत की कई समस्याओं का समाधान हो /
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