जीवन को बदल देने वाली बाते :-
मनुष्य के जीवन में कई बातें ऐसी होती हैं जिससे मनुष्य के जीवन पर गहरा प्रभाव छोड़ देती है जो जीवन को बदल देती है जिससे मनुष्य अपने जीवन में सफलता और परिवार रिश्ते-नाते और संबंधों में मजबूती आती है जिससे मनुष्य का जीवन उत्कृष्टता के साथ उत्तम और सफल बनता है, जीवन में सही निर्णय लेना जिससे बच्चे और परिवार का भविष्य उज्जवल बने मनुष्य के जीवन में आने वाली समस्याओं का सामना करना सीखना चाहिए और बच्चों को भी समस्या का सामना करना और मजबूत बनाना चाहिए, मनुष्य को अपना और अपने परिवार का आत्मविश्वास दृढ़ बनाए रखना चाहिए जिससे जीवन में हर समस्या को पार करने के लिए मन स्थिर बना रहता है, अपने बच्चों की परवरिश करने के लिए निर्णय लेना, अपनी सफल के लिए योजना बनाना चाहिए मनुष्य को जीवन और अपने परिवार और संबंधों का उत्कृष्ट और मजबूत बनाने के लिए यह बातें जीवन में उतारे जो निम्न प्रकार दिए गए हैं
1. सही निर्णय का चुनाव करें :-
मनुष्य के जीवन का हर क्षण निर्णय का क्षण होता है प्रत्येक पद पर दूसरे पद के लिए निर्णय करना ही पड़ता है| आज लिया गया निर्णय मनुष्य के जीवन में अपना प्रभाव छोड़ जाता है| आज किए गए निर्णय भविष्य में सुख अथवा दुख निर्मित करते हैं ना केवल उस मनुष्य के लिए जो निर्णय लेता है अपितु अपने पूरे परिवार के लिए भी और आने वाली पीढ़ी के लिए भी जब मनुष्य के सामने कोई दुविधा आती है तो मनुष्य का मन व्याकुल हो जाता है अनिश्चिता से भर जाता है| मनुष्य के निर्णय लेने का वह क्षण युद्ध बन जाता है और मनुष्य का मन बन जाता है| युद्ध भूमि मनुष्य अधिकतर निर्णय दुविधा का उपाय करने के लिए नहीं केवल अपने मन को शांत करने के लिए लेते हैं पर क्या कोई मनुष्य दौड़ते हुए भोजन कर सकता है नहीं क्या युद्ध से जूझता हुआ मन कोई योग्य निर्णय ले सकता है| मनुष्य जब अपने शांत मन से कोई निर्णय करता है तो वह अपने लिए सुखत भविष्य बनाता है किंतु मनुष्य अपने मन को शांत करने के लिए निर्णय करता है तो वह व्यक्ति अपने लिए भविष्य में कांटों से भरा वृक्ष लगाता है| इसलिए कभी भी मनुष्य को अधिक प्रसन्नता होने पर कोई निर्णय नहीं लेना चाहिए क्योंकि हम अधिक प्रसन्नता के कारण ऐसे निर्णय ले लेते हैं | जिससे भविष्य में बहुत दुख उठाना पड़ता है और यदि मनुष्य अधिक क्रोध में हो तो कोई निर्णय नहीं लेना चाहिए| क्योंकि क्रोध में लिया गया निर्णय भविष्य में बहुत अधिक हानि पहुंचाता है| इसलिए परिवार एवं रिश्तेदारों में कई छोटी-छोटी ऐसे निर्णय से कई परिवार और संबंध टूट जाते हैं और कहीं पति पत्नी के संबंध , भाई-बहन के संबंध, भाई- भाई के संबंध टूट जाते हैं| एक ग़लत निर्णय लेने से इसलिए जो भी निर्णय ले चाहे बच्चों के पक्ष मे, बड़ों के लिए किसी और के लिए या अपने लिए अपने शांत मन व सोच समझ कर ले क्योंकि आज लिया गया सही निर्णय सुखद भविष्य का निर्माण करेगा|
सही निर्णय |
2. समस्याओं का सामना करें :-
मनुष्य की पूर्वा आभाषा के आधार पर हम भविष्य की सुख- दुख की कल्पना करते हैं| मनुष्य भविष्य के दुख का कारण दूर करने के लिए आज योजना बनाते हैं किंतु कल के संकट को आज निर्मूल करने से हमे लाभ मिलता है या हानि पहुंचती है| मनुष्य यह प्रश्न कभी नहीं करता है परंतु सत्य बात तो यह है कि आने वाला संकट और उसका निर्णय दोनों एक साथ जन्मते हैं| मनुष्य के लिए भी और सृष्टि या प्रकृति के लिए भी नहीं आप अपने भूतकाल को देखिए, इतिहास को देखिए आप खुद ही जान पाएंगे जब जब संकट आता है तब तक उसका निवारण करने वाली शक्ति भी जन्म लेती है| यही तो इस प्रकृति या जगत का चलन है| वस्तुतः संकट ही तो शक्ति की जन्म का कारण होती है| जब मनुष्य संकट से गुजरता है तो वह एक पद आगे बड़ा होता है और अधिक चमकता है तथा आत्मविश्वास से भरा होता है| ना केवल अपने लिए भी तो विश्व के लिए भी होता है जो सत्य बात है| मनुष्य के लिए वास्तव में संकट का जन्म एक अवसर का जन्म होता है, अपने आप को बदलने का अवसर, अपने विचारों को ऊंचाई पर करने का अवसर, अपनी आत्मा को बलवान और ज्ञान मंडिड बनाने का अवसर जो मनुष्य यह कर पाता है| उसे कोई संकट नहीं होता है किंतु जो यह नहीं कर पाता है वह स्वयं एक संकट है| विश्व के लिए इसीलिए मनुष्य को संकट आने पर उससे दूर नहीं भागना चाहिए| उस संकट के बारे में ना सोच कर उसका निवारण पर ध्यान देना चाहिए| जिससे आप हर संकट का सामना कर सकते हैं| जीवन में कभी संकट या समस्या मनुष्य से छोटी होती है| यदि मनुष्य समस्या को समस्या ना समझ कर उसे एक चुनौती समझ कर स्वीकार करें जिससे अपने जीवन को उत्कृष्ट बनाते हैं|
3. आत्मविश्वास :-
जब मनुष्य की जीवन में आने वाले संघर्ष के लिए मनुष्य जब अपने आप को योग्य नहीं मानता है| जब उसे अपने बल पर विश्वास नहीं होता है| तब वह सदगुण को त्याग कर दुरगुणो को अपना लेता है वस्तुतः मनुष्य के जीवन में दुर्जनता जन्म भी तब लेती है जब उसके अंदर में आत्म विश्वास नहीं होता है| मनुष्य के आत्मविश्वास ही तो अच्छाई को धारण करता है यह आत्मविश्वास है क्या जब मनुष्य यह मानता है कि जीवन का संघर्ष उसे दुर्बल बनाता है उसे अपने ऊपर विश्वास नहीं रहता है| वह संघर्ष के पार जाने के बदले वह संघर्ष से छूटने के उपाय ढूंढने लगता है किंतु जब यह समझता है कि संघर्ष उसे अधिक शक्तिशाली बनाते हैं| मनुष्य के व्यायाम करने से देहय (हृदय) की शक्ति बढ़ती है तो मनुष्य के प्रत्येक संघर्ष के साथ उसका उत्साह बढ़ता है अर्थात आत्मविश्वास कुछ भी नहीं मन की स्थिति है| जीवन को देखने का दृष्टिकोण मात्र है| जीवन का दृष्टिकोण तो मनुष्य के अपने वश में होता है इसलिए मनुष्य को हर समस्या में या संघर्ष में अपना आत्मविश्वास या मन को स्थिर रखना चाहिए स्थिर मन से लिया गया फैसला या निर्णय उचित या सही होता है| अपने आत्मविश्वास को मजबूत बनाकर रखना चाहिए यदि आप अपने मन को स्थिर बनाए रखें तो अपने जीवन में सफलता प्राप्त कर सकते हैं|
आत्मविश्वास |
4. बच्चों की अच्छे से परवरिश करे :-
पिता अपनी संतान की सुख की कामना करते हैं और उनके भविष्य की चिंता करते हैं इसी कारण वश सदा ही अपनी संतान के भविष्य का मार्ग स्वयं निश्चित करने का प्रयत्न करते रहते हैं जिस मार्ग पर पिता स्वयं चला, जिस मार्ग के कंकर, पत्थर को स्वयं देखा, मार्ग की छाया, मार्ग की धूप को स्वयं जाना है उसी मार्ग पर उसका पुत्र भी चले यही इच्छा रहती है हर पिता की नि: सन्देह यह उत्तम भावना है पिता की किंतु तीन प्रश्नों के ऊपर विचार करना हम भूल जाते हैं कौन से प्रश्न है
A. क्या समय के साथ प्रत्येक मार्ग बदल नहीं जाते क्या समय सदा ही नई चुनौतियों को नहीं लेकर आता है तो बीते हुए समय के अनुभव नई पीढ़ी को किस प्रकार लाभ दे सकते हैं
B. क्या प्रत्येक संतान अपने माता- पिता की छवि होती हैं हां संतान को संस्कार तो माता-पिता देते हैं भितर की क्षमता तो ईश्वर देते हैं जिस मार्ग पर पिता को सफलता मिली है उसी मार्ग पर उसकी संतान को भी सफलता और सुख प्राप्त होगा
C. क्या जीवन की चुनौतियां व संघर्ष लाभकारी नहीं होती है क्या प्रत्येक नया प्रश्न नए उत्तर का द्वार नहीं खोलता तो फिर संतान को नए- नए प्रश्न, संघर्षों और चुनौतियों से दूर रखना यह उनके लिए लाभ करना कहलाएगा या हानि पहुंचाना अर्थात जिस प्रकार संतान के भविष्य के बदले उसके चरित्र के निर्माण करना श्रेष्ठ है| वैसे ही संतानो के जीवन का मार्ग निश्चित करने के बदले उन्हें नए संघर्ष के साथ जुड़ने के लिए मनोबल और ज्ञान देना अधिक लाभदायक नहीं होगा इसीलिए संतान को संस्कार तो अपने पुराने तो दो और संतानों को समय के अनुसार नई चुनौतियों संघर्ष के साथ बड़ा करना चाहिए
5. योजनाओं के आधार पर सफलता :-
कभी-कभी तो घटना मनुष्य की जीवन की सारी योजनाओं को तोड़ देती है| मनुष्य उस आघात को अपनी जीवन का केंद्र मान लेता है पर क्या भविष्य मनुष्य की योजनाओं के आधार पर निर्मित होते हैं नहीं | जिस प्रकार किसी ऊंचे पर्वत पर सर्वप्रथम चढ़ने वाला उस पर्वत की तलाई में बैठकर जो योजना बनाता है क्या वही योजनाओं से पर्वत की चोटी तक पहुंचाती है नहीं | वास्तव में वह ऊपर चढ़ता है वैसे-वैसे नई- नई चुनौतियां, नई- नई विडम्बना, नए- नए अवरोध मिलते हैं प्रत्येक पद पर अपने अगले पद का निर्णय करता है| प्रत्येक पद पर अपनी योजनाओं को बदलना पड़ता है कई पुरानी योजना उसे खाई में न ढ़खेल दे मनुष्य पर्वत को अपनी योग्य नहीं बना पाता है| केवल पर स्वयं को पर्वत के योग्य बना पाता है क्या जीवन के साथ भी ऐसा ही नहीं जब मनुष्य जीवन में एक चुनौती को, एक अवरोध को अपने जीवन का केंद्र मान लेता है |अपने जीवन की गति को रोक लेता है और अपने जीवन में सफल नहीं बन पाता और नई सुखी व शांति प्राप्त नहीं कर पाता है अर्थात जीवन को अपने योग्य बनाने के बदले स्वयं अपने जीवन की योग्य बनाना ही सफलता और सुख का एकमात्र मार्ग नहीं है इसलिए भविष्य की योजना को बनाने से अच्छा है कि वर्तमान में कर रहे कार्य की योजनाओं को बनाते चले भविष्य में कार्य के अनुसार योजना अपने आप बन जाएगी| इसलिए तो जीवन में योजना के अनुसार कार्य नहीं कार्य के अनुसार योजनाओं को बनाएं आपको सफलता मिलेगी|
यदि प्रत्येक व्यक्ति चाहे बच्चे, बड़े और किसी भी उम्र के हो इन बातों को जीवन में उतारे यदि जीवन में नया परिवर्तन लाना चाहते हैं| जीवन को सरल बनाना और एक अच्छे जीवन जीना चाहते हैं| अपने आपको और परिवार को संस्कारों से सुशोभित कर समाज में परिवार की प्रतिष्ठा को बढ़ाती हैं| जीवन को निर्मल व सुखी एवं शान्त से जीवन का निर्वाह कर सकते हैं| ऊपर बताए गए बातों को ध्यान रखें|
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