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Sunday, August 16, 2020

मनुष्य के जीवन को उत्कृष्ट बनाने कि कुछ बाते

मनुष्य के जीवन को उत्कृष्ट बनाने कि कुछ बाते :-

                                                                                    मनुष्य को अपना जीवन उत्कृष्ट बनाने के लिए और अपने चरित्र को उत्तम करने के लिए आपको अपने निर्णय और कुछ प्रश्नों के जवाब तो जाना चाहिए अपने निर्णय को और अपने बच्चों को जीवन की कुछ प्रश्नों के बारे में बताइए और उनका उत्तर देते हुए उनके जीवन में सही निर्णय ले और न किसी की नकल ना करें, आप की सबसे बड़ी कमजोरियां क्या है, अहंकार क्या है, ज्यादा नहीं बोलना चाहिए किसी का मजाक नहीं उड़ाना चाहिए जीवन में ऐसी शिक्षा अपने बच्चों को दें और स्वयं भी शिक्षाओं को ग्रहण करें जिससे जीवन और परिवार आगे बढ़े और समाज में अपना मान सम्मान बढ़ाएं और प्रतिष्ठा को ऊंचाइयों पर ले जाएं इन बातों को निम्न प्रकार बताया गया है|

1.    किसी का मजाक ना उड़ाए :-  

                                            मनुष्य भी बहुत विचित्र प्राणी है हम अपने से नीचे के स्तर के लोगों को हम हीन दृष्टि से देखते है|  हम उनका उपहास उड़ाते हैं| हम उनसे कहते हैं कि तुम्हारा कुछ नहीं हो सकता, तुम भविष्य में कुछ नहीं कर पाओगे| यह कहते हैं| अपने से छोटे व्यक्तियों से चाहे वह उम्र में काम हो या दौलत में कम हो जब मनुष्य के पास धन, संपत्ति और मान सम्मान होता है तो वह दूसरे का आदर नहीं करता है पर वह एक बात भूल जाता है कि उससे भी अधिक शक्तिशाली कोई अस्तित्व में है और वह समय या काल है काल अपना चक्र कब बदलेगा यह कोई नहीं जानता है, समय अपनी करवट कब लेगा यह कोई नहीं जानता है| कोयला भी समय के साथ-साथ हीरे में परिवर्तित हो जाता है इसलिए जीवन में किसी का उपहास नहीं उड़ाना चाहिए एक व्यक्ति अपने नीचे वाले, गरीब लोग, उम्र में कम हो, कम बुद्धि, शरीर से अस्वस्थ हो, कोई विकलांग हो उनका उपहास उड़ाते हैं इसलिए व्यक्ति का मजाक नहीं उड़ाना चाहिए क्योंकि समय इतना बलवान है कि वह व्यक्ति कब आप से ऊपर उठ जाए और ऊंचे शिखर तक पहुंच जाए इससे आपके संस्कारों का पता चलता है कि आप किस प्रकार के व्यक्ति हैं इसीलिए व्यक्ति की परिस्थितियो, स्थितियो और समस्याओं पर नहीं हंसना चाहिए पता नहीं कब उसका समय आ जाए दूसरे के सामने व्यक्ति की निंदा नहीं करना चाहिए|

2.    अहंकार क्या है  :- 

                        गर्व, अभिमान व अहंकार सुनने में एक जैसे लगते हैं परंतु तीनों का अर्थ भिन्न होता है और परिणाम भी तीनों का आरंभ प्रेम से होता है स्वयं से प्रेम परिश्रम हमारी मन में गर्व को जन्म देता है और सफलता अभिमान जगाती है यहां तक तो ठीक है परंतु जब यह भावना जब अहंकार बन जाती है तो वह समस्या बन जाती है क्योंकि सबसे बुरा अंत अहंकारी का होता है परंतु मनुष्य के लिए पहली यह कि पहचाना कैसे जाऐ की अहंकार जग गया और उसका दमन आवश्यक है| इस प्रश्न का उत्तर मनुष्य का मन स्वयं देगा जब तक आप स्वयं से प्रसन्न है, जब तक आप सबसे ऊंचा उठने का प्रयास कर रहे हैं तब तक ठीक है| जब आपके मन में दूसरों को नीचा समझने का भाव आ जाए तो सावधान हो जाइए क्योंकि यही तो अहंकार है जो वास्तव में आपको हीन कर रहा है| जब मनुष्य के मन में अहंकार की भावना जाग जाती है तो दूसरों को नीचा दिखाने में, किसी को डराने में, उसे गलत साबित करने में, अपनी सारी हदें पार कर देता है| वह अपनी मानव धर्म को भूल जाता है| उसे बस स्वयं ही स्वयं दिखता है और उसके आगे दूसरे का कोई महत्व नहीं होता है इसलिए आप कितने ही पैसे वाले हो, कितने ही ऊंचे पद पर हो अपने आप अहंकार नहीं दिखाना चाहिए अहंकार मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु होता है| उसे कब समाप्त कर देगा यह पता नहीं होता हैं|

3.    ज्यादा बोलना हानिकारक होता है :-  

                                                        हमारा शरीर प्रकृति का एक महान अविष्कार है इससे जटिल संरचना संसार में और कोई नहीं है हमारा शरीर इतना जटिल है यदि इसे ठीक से जाना जाए तो इससे अधिक सरल ज्ञान देने वाला कोई और नहीं है| हमारे शरीर में पांच इंद्रियां होती है जो हमें भाव, गुण और वस्तु का बौद्ध कराती है| हमारे पास आंखें, नाक, स्पष्ट के लिए त्वचा, कान और जीवा है सबका भिन्न- भिन्न कार्य है| आंखों से देखना, कानों से सुनना, नथुने से श्वास लेना, त्वचा से स्पष्ट करना, जीवा से स्वाद लेना है परंतु कभी आपने सोचा है कि प्रकृति ने हमें दो आंखें दी, दो नथुने दिऐ, दो कान दिऐ, स्पष्ट के लिए यह पूरा शरीर दिया है परंतु जीवा एक दि ऐसा क्यूं क्योंकि प्रकृति चाहाती है| हम देखे अधिक, सुने अधिक और ज्ञान अधिक अर्जित करें बोले कम क्योंकि अधिक वाचर नास को निमंत्रण देता है इसलिए मनुष्य को समय और परिस्थिति के अनुसार बोलना चाहिए| आपकी अधिक होने से परिवार के संबंध टूट जाते हैं, पति-पत्नी के संबंधों में कड़वाहट आ जाती है, यारी दोस्ती टूट जाती है, क्षेत्रों से संबंध टूट जाते हैं अधिक बोलने पर आप की छवि खराब होती है| दूसरों के सामने इसलिए अपने शब्दों का उपयोग सही तरीके से करना चाहिए| कम बोलो पर अच्छा बोलें अधिक बोलने से तो अच्छा है क्योंकि आप के ज्यादा बोलने से आपकी वैल्यू गिरती हैं व्यवहार और चरित्र बिगड़ता है आपके जीवन के लिए अधिक बोलना हानिकारक हो सकता है|

4.    आप की सबसे बड़ी कमजोरी क्या है :-  

                                                    मनुष्य की सबसे बड़ी दुर्बलता क्या होती है |आप सोचिए धन, प्रेम व अहंकार नहीं मनुष्य की सबसे बड़ी दुर्बलता होती है| उसके रहस्य होते हैं चाहाऐ आप कितने भी शक्तिशाली क्यों ना हो, कितने भी प्रबल क्यों ना हो परंत उसके रहस्य उसके नास की चाबी है इसलिए यदि प्रबल रहना है, शक्तिशाली रहना है, समर्थ रहना है तो अपने रहस्य को किसी को भी नहीं बताए ना मित्र को और ना ही शत्रु को क्योंकि समय पड़ने पर कब कौन शत्रु हो जाए ऐसा कहना संभव नहीं है विभीषण को रावण के अमर कुंड का ज्ञान था इसीलिए तो प्रभु श्री राम रावण का वध करने में सफल हो सके हैं इसलिए उचित यही है की आप अपने रहस्य को स्वयं तक ही सीमित रखें| इसीलिए किसी भी मनुष्य को अपने गुप्त रहस्य परिवार में किसी को नहीं बताना चाहिए, आपकी पत्नी को, किसी भी सगे संबंधियों को यार दोस्तों को भी नहीं बताना चाहिए जाने कब यह व्यक्ति आपके राज सभी के सामने खोल दें |जिससे आपके मान सम्मान, चरित्र, इमानदार, इज्जत और सब खराब हो जाए |जिससे आपका जीवन खराब हो जाए आपके रहस्य को अपने अंदर ही रहस्य रहने दो कुछ बातें ऐसी होती है जो रहस्य ही सही होती है चाहे वह गलत ही क्यों ना हो|

5.    नकल ना करें  :- 

                        मनुष्य जीवन की परीक्षा में सफल होने के लिए क्या नहीं करता हैं वह परिश्रम करता है, दौड़ भाग करता है यह सब करने के पश्चात भी काम नहीं बनता है तो वह नकल करता है हेना तनिक लौटीऐ अपने बचपन में स्मरण कीजिए अपने बचपन का क्या स्मरण हुआ है जब आप विद्यालय में परीक्षा देने जाते थे तो क्या होता था आप ना सही परंतु कोई ना कोई सफलता पाने के लिए नकल करता  उर्त्तीण भी हो जाता था परंतु जीवन की परीक्षाएं ऐसी नहीं होती नकल करने वाला सफल नहीं होता है क्योंकि कारण है विद्यालय में सब के प्रश्न पत्र एक जैसे होते थे परंतु जीवन के प्रश्न और उनकी कठिनाइयां सबके लिए भिन्न होते हैं तो निश्चित रूप से उनके उत्तर भी भिन्न होंगे इसीलिए यदि आपको सफलता पानी है तो नकल ना कीजिए स्वयं के प्रश्नों का उत्तर ढूंढिए और सफलता आपकी होगी इसलिए मनुष्य को अपने लक्ष्य को जानकर लक्ष्य के अनुसार कार्य करे सभी की तरह एक ही कार्य को कर के जीवन को बिताई नहीं अपने जीवन के लक्ष्य के अनुसार प्रश्नों को जानिए और  सामना करिए उत्तर देते हुए लक्ष्य को प्राप्त करें और अपने जीवन को उत्कृष्ट और ऊंचे शिखर पर  पहुंचाए

6.    सच को छुपाना हानिकारक हो सकता है :-  

                                                            जब सागर का जल वाष्प बनकर उड़ता है तब हमें दिखाई नहीं देता मेघ उस जल को अपने भीतर छुपा लेते हैं| लंबी यात्रा करते हैं प्रयास करते हैं कि वह जल सदा उनके भीतर छिपा रहे परंतु जब वायु का वेग उन्हें उठाकर किसी पर्वत से ले जाकर टकरा देता है तब उन मेघो को बरसना ही पड़ता है क्योंकि यही नियति है और यही प्रकृति है चुकी जल को सागर में जाकर मिलना ही होता है ठीक वैसे ही हमारे साथ भी होता है| हम सत्य अपने मन के मेघो में चाहे जितना छिपाने का प्रयास करें परंतु समय की आंधी उसे वास्तविकता के पर्वत से ले जाकर टक्करा के हमारे समक्ष ले ही आती है| जिस भैय के कारण आप सत्य को सामने नहीं लेकर आना चाहते एक दिन वही भैय हमारे समक्ष आकर खड़ा हो जाता है और फिर हम लाचार हो जाते हैं चुकी हमने उस भैय का सामना करने की तैयारी नहीं की होती है इसीलिए सत्य से भागे नहीं, उसे छिपाऐ भी नहीं उसे स्वीकार करें| भविष्य की बड़ी विपत्ति से बच जाएंगे मनुष्य को अपनी छोटी-छोटी गलतियों को छुपाना नहीं चाहिए क्योंकि एक गलती को छुपाने के लिए एक के बाद एक झूठ बोलना या गलती करते जाते हैं इसलिए जो सच है| वह बोले अपनी गलतियों को स्वीकार करें क्योंकि आज सच नहीं बोलोगे तो भविष्य में जब सच सामने आएगा तो आपकी जीवन पर झूठे और मक्कार का आरोप, संस्कार, चरित्र और इमानदारी पर प्रश्न उठते हैं मान सम्मान गिरता है| जिससे जीवन खराब हो सकता है इसीलिए सच को छुपाऐ नहीं|

 7.    अन्याय के आगे ना झुके  :-  

                                    कभी-कभी हम सबके जीवन में एक ऐसी विचित्र समस्या आवश्यक आती है जिस शक्तिशाली के समक्ष मौन हो जाते हैं क्योंकि शक्तिशाली से विरोध करने से बचने के लिए हम मौन रह जाते हैं| हम मानते हैं ऐसा करने से हम एक विवाद से बच जाते हैं| एक संघर्ष से बच जाते हैं परंतु ऐसा बचाव एक बड़े संघर्ष को जन्म दे देता है| कैसे हमारा मौन रहना अनजाने में उसका समर्थन बन जाता है और वह स्वयं अधिक शक्तिशाली अनुभव करता है और यहां से हमारा दमन प्रारंभ हो जाता है| एक के बाद एक हम अन्याय में अनचाहे रूप से शामिल होते जाते हैं इसका तोड़ क्या है| यह समझने के लिए यह जानना आवश्यक है कौन सी बात है जो आपको विरोध करने से रोकती है| यह सामने वाले की शक्ति नहीं है जो आप को रोकती है| यह आपके भीतर छिपा भैय है जो आप को रोकता है हां कभी कभी भैय आपकी सुरक्षा जरूर कर सकता है परंतु साथ-साथ यह भी जानना आवश्यक है कि यह भैय है जो आपको मोन भी रखता है इसलिए अपने मन से भैय को निकालो और खुलकर अनीति का और अन्याय का विरोध कीजिए और फिर देखिएगा आप का मन कितना मुक्त और हल्का अनुभव करेगा इसलिए हमें किसी के साथ हो रहे अन्याय को रोकना चाहिए और यदि अपने साथ हो रहा अन्याय के विरोध बोलना चाहिए| जितना हम उस व्यक्ति के आगे झुकते जायेगे वह और झकता जाएगा और वह अपने जीवन से हार जायेगा जीवन खराब हो जाएगा इसलिए अन्याय के आगे कभी ना झुके| 

            जीवन को बदल देने वाली बाते 

 



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