Responsive Ads Here

I am giving Relationship Build and Life Changes, Good Family, Good Relation Build, Happiness, Relationship Problem to Good Solution, Bed Relation to Good Relation Build, Good Life,Children and Parents Life Change Point, Happy Marriage Life, Happy Life Problem solving about tips and tricks

Thursday, August 27, 2020

मनुष्य के जीवन की कुछ परिस्थितिया

मनुष्य के जीवन की कुछ परिस्थितिया :-

                                                                            इस संसार में मनुष्य अपने जीवन में कुछ ऐसी बातें हैं जो वह अपने आप समझ नहीं पाता हैं| मनुष्य को जीवन के हर मोड़ पर कसौटी पर खड़ा रहना पड़ता है और कसौटी को पार करना पड़ता है| यदि व्यक्ति किसी क्षेत्र या कार्य में अपने आप को उत्तम या उत्कृष्ट बनाना चाहता है और संबंधों को मजबूत बनाना चाहते हैं तो संबंधों के भाव को समझना चाहिए क्योंकि सम्बन्ध अनमोल है एक बार संबंध टूट जाते हैं तो उनमें गांठ आ जाती है व्यक्ति अपना भाग्य बुरा या सही मानते हैं उसके दृष्टि कोण पर निर्भर करता है| जीवन में व्यक्ति किसी कार्य में हार और जीत से करता है यदि मन के हारे हार है मन के जीते जीत होती है| व्यक्ति को जीवन में एसे व्यक्ति से मित्रा नहीं करनी चाहिए एक मूर्ख या धूर्त मित्र से, जीवन में समय का मोल अनमोल है क्योंकि समय एक बार गुजर जाता है तो उसे वापस नहीं लाया जा सकता समय का उपयोग करना आप पर निर्भर करता है| बच्चों के माता-पिता डांटते तो बुरा ना माने जीवन में सत्य और असत्य को जानने का प्रयास करें ऐसी कुछ बातें जो व्यक्ति जानकर उसे समझने और अपने जीवन में अपनाएं जीवन में उचित या अनुचित क्या है इसलिए कुछ बाते निम्न प्रकार हैं|

1.    संबंध बड़ा ही विचित्र भाव है :-  

                                            संबंध बड़ा ही विचित्र भाव है हेना, हम जीवन में आगे बढ़ते हैं संबंधियों के लिए, हम परिश्रम करते हैं ताकि वह प्रसन्न रहें जिससे हमारा संबंध है परंतु कभी-कभी यह आवश्यक हो जाता है जिनसे हमारा संबंध है उन्हें रोका जाए, उनके मार्ग में बाधा डाली जाए आप कहेंगे कि यह कैसी बात है| जिनसे हमारा सम्बन्ध है जिनसे प्रेम है उनके मार्ग में बाधा क्यों डाली जाए क्योंकि आवश्यक है नदी की धारा में आया छोटा सा सेतु उसके प्रवाह को तेज कर देता है| जिन से हम प्रेम करते हैं| उनकी आलोचना आवश्यक है ताकि वह अपनी कमियों को सुधारे, अपनी शक्तियों के वेग को बढ़ाएं और जीवन में सफलता प्राप्त करें जो अपने होते हैं| वह आपके कार्य में कमी और दोष निकालते हैं ताकि आप उस कार्य को पूरी परिपक्वता के साथ करें ताकि आप उस कार्य में कमजोर ना रह जाए आलोचना करते हैं उनकी बात का बुरा मानते हैं उनसे नाराज हो जाते हैं| सम्बन्धो में दूरियां बना  लेते हैं जो गलत है उस बात का कारण समझो और अमल करो क्योंकि आज कही बात भविष्य में आपकी जीवन को उत्कृष्ट और उत्तम बना दे इसलिए परिवार के सदस्य की बात का बुरा मत मानो|

2.    भाग्य बुरा या अच्छा हो :-   

                                    लोग कहते हैं कि भाग्य बुरा हो तो मिठी नदी का पानी भी खारा हो जाता है क्या आपको भी यही लगता है नहीं हर  अनहोनी के कारण भाग्य नहीं होता है कारण होता है हमारी असावधानी है कठिनाइयों में सावधानी जीवन की सबसे बड़ी ढाल है| अनजान मार्ग पर आगे बढ़ने से पूर्व अपने एक पांव को धरा पर जमाई और दूसरी पांव से आगे आने वाली भूमि को अच्छी तरह टटोल लेना ही समझदारी है| जीवन में मनुष्य को सत्य बोलने में, वचन देने में या प्रतिज्ञा लेने में सावधानी रखना आवश्यक है अर्थात् सावधानी का अर्थ है| पहले भविष्य का आकलन कर लेना चाहिए यदि घर की नीव  डालने में असावधानी बरती जाए तो इमारत चाहे कितनी भी सुंदर क्यो ना हो वह दुरुस्त हो ही जाती है| सुरक्षित भविष्य का आधार वर्तमान में बरती गई सावधानी क्योंकि भविष्य में क्या होने वाला है| यह आप जान नहीं सकते परंतु बचने के लिए सावधानी की ढाल का प्रयोग आवश्यक कर सकते हैं इसलिए वर्तमान में किए गए कार्य और निर्णय भविष्य में सुख या दुख निर्मित कर सकते हैं इसीलिए जीवन में जो भी निर्णय या कार्य करे सोच समझ कर करे आज लिया गया निर्णय आपके साथ-साथ पूरे परिवार की सुख या दुख को निर्मित कर सकते हैं जो भी करें सावधानी के साथ करें|

3.    हार और जीत :- 

                        मनुष्य का जीवन हार और जीत, विजय या पराजय, सफलता या असफलता के मध्य झूलता रहता है| आपके साथ भी ऐसा ही होता होगा हेना, जब आप जीवन में सफल होते हैं किसी चुनौती पर विजय पाते हैं तो मन प्रशंसा से आनंद के उपवन में झूमता है और जब आप असफल होते हैं तब मन दुख और पीड़ा के सागर में डूबता रहता है परंतु वास्तव में सफलता और असफलता है क्या केवल हमारी मनस्थिति मात्र है| हमारी पराजय तब नहीं होती हैं जब हमारा शत्रु विजय प्राप्त करले हमारी पराजय तब होती है जब हम पराजय स्वीकार कर लेते हैं हम असफल तब नहीं होते हैं जब हम लक्ष्य नहीं पा सके हम असफल तब होते हैं| जब हम प्रयास करना बंद कर देते हैं इसलिए जीवन में प्रयास करते रहिए और हार ना माने क्योंकि जिस दिन आप हार स्वीकार बंद कर देंगे जीत आपके चरणों में होगी जो भी कार्य करें जीवन में पूरी निष्ठा और विश्वास के साथ करें जिससे आप अपने लक्ष्य को प्राप्त कर ले जीवन में प्रयास करते रहना चाहिए|

4.    सबसे विध्वंसक कारी एक मूर्ख या धूर्त मित्र है  :-   

                                                                            इस संसार में सबसे अधिक विध्वंसक क्या होता होगा लालच नहीं, कामना नहीं, क्रोध नहीं, तो सबसे अधिक विनाशक आपका अन्त चाहने वाला शत्रु होता होगा नहीं संसार में सबसे अधिक विध्वनशक यदि कोई है तो वह है एक मूर्ख या धूर्त मित्र है कहते हैं कि क्रोधित बैल के सामने से और बिगड़े अश्व के पीछे से नहीं जाना चाहिए अन्यथा चोट लगनी निश्चित है परंतु एक मूर्ख और एक धूर्त मित्र की ओर से किसी भी दिशा में जाना उचित नहीं है क्योंकि एक मूर्ख और धूर्त मित्र नरभक्षी पशु के समान होता है जो समीप आने वाले का नाश ही करेगा मूर्ख या धूर्त मित्र से बुद्धिमान शत्रु हर परिस्थिति में अधिक श्रेष्ठ कर है इसलिए मित्रता करते समय सावधान आवश्यक रही| इसलिए जीवन में मित्रा करते समय यह ध्यान रखें कि वह मित्र मूर्ख या धूर्त प्रवृति का तो नहीं है| महान व्यक्ति ने कहा है कि मूर्ख या धूर्त मित्र से बैस करने से अच्छा है कि विद्यवान व्यक्तियों से डांट खाना अच्छा है इसलिए जीवन में अपना व्यक्तित्व उत्कृष्ट और उत्तम बनाएं और जीवन ऊंची प्रतिष्ठा पर रखना है तो लक्ष्य को प्राप्त करना है तो जीवन को आनंद से जीना है तो और मूर्ख या धूर्त मित्रों से दूर रहना चाहिए|

5.    समय का मोल :-  

                            इस संसार में सबसे अनमोल क्या है आप में से कुछ सोचेंगे सोना, कुछ कहेंगे मोती, कुछ कहेंगे हीरा तो इसमें पहली क्या हुई पहली यह है जो संसार में सबसे अधिक अनमोल है वही संसार में सबसे सस्ता भी है, वह हर पर मरता भी हैं और सदा जीवित भी रहता है, वह सबसे बड़ा शत्रु भी है और सबसे बड़ा मित्र भी है, क्या है वह मैं बताता हूं वह हैं समय यदि जीवन में आप हर पल का सदुपयोग करेगे तो सबसे अनमोल है| दुरुपयोग करेंगे या व्यर्थ करेंगे तो वह सबसे सस्ता है चुकी इसे खरीदने के लिए मुद्रा की आवश्यकता नहीं होती व्यर्थ करेंगे तो हर पल मरता है, परंतु हम सब के मर जाने के बाद भी यही है जो जीवित भी रहेगा, यही है जो आपके साथ है तो यह आपका सबसे बड़ा मित्र है, और यदि यही आपके विरोध है तो यह आपका सबसे बड़ा शत्रु है यह आप पर निर्भर करता है कि आप इसका उपयोग कैसे करते आप इसे अनमोल बनाते हैं या इसे यूही नष्ट करते हैं इसे मित्र बनाते हैं या शत्रु इसे हर पल जिते हैं या मारते हैं जीवन में ध्यान रहे कि समय से बड़ा धन और कोई नहीं है इसलिए जीवन में हर कार्य या बात को समय पर करना चाहिए समय का पूर्ण उपयोग करना चाहिए समय एक बार गुजर गया तो वापस लौट कर नहीं आता हैं| जीवन को उत्तम और ऊंचे शिखर पर पहुंचना है तो हर क्षण का उपयोग अच्छे से करना चाहिए जो बीत गया समय या कार्य पर अफसोस नहीं करना चाहिए क्योंकि उस समय आप समय को खराब या बर्बाद कर रहे हैं| व्यक्ति का जीवन समय से ही बनता है और समय से जीवन बनता हैं समय का उपयोग या अनुपयोग करना है| यह आप पर निर्भर करता है| इसका आभास मनुष्य को तब होता है जब उसका अंतिम समय निकट आ जाए|

6.    माता-पिता की डांट :- 

                                बहुत सेक बालक अपने माता- पिता पर क्रोधित होते हैं कि उन्होंने उसे क्यों प्रताड़ित किया है क्यो पिटा, शंका स्वाभाविक है परंतु उसका उत्तर भी बड़ा सरल है कभी कुमार को घड़ा बनाते देखा है जब चाक से घड़े को उतारा जाता है  तो उसका आकार ठीक नहीं होता है| सता भी तनिक उबड़ खाबड़ होती है अब उस घड़े को लकड़ी से पीटता है| भीतर से सहारा देकर वह बाहर से पीटता जाता है कई घंटों प्रयास करने के पश्चात जाकर वहां घड़ा बनता है जिसके भीतर भरा जल तन मन दोनों को आनंदित कर देता है| बालक भी इसी मटके के समान होते हैं| माता-पिता उन्हें प्रेम संभालते हैं परंतु यदि डांट की लकड़ी और अनुशासन का बन्धन ना हो तो वह सुपुत्र नहीं बन पाएंगे इसलिए अगली बार जब माता-पिता डांटे तो क्रोधित मत होएगा उस पर विचार कीजिए गा इसमें ना जाने आपका कौन सा लाभ छिपा है इसलिए जब आपके  माता पिता किसी कार्य या बात के लिए मना करें डांट लगाई या गुस्सा करे तो आप अपने माता-पिता से गुस्सा, क्रोधित या संबंधों में कड़वाहट मत बनाइए वह जो भी करें आपके अच्छे के लिए करते हैं| भले के लिए करते हैं कोई भी माता-पिता अपने बच्चों का बुरा नहीं सोचते या बुरा नहीं करते हैं| वह आपके व्यक्तित्व को अच्छा बनाने के लिए करते हैं| आपके भविष्य उज्जवल बने वह यही चाहते हैं जिससे समाज में ऊंचा उठा सकें |

7.    सत्य या असत्य क्या है :- 

                                मेरे आपके या हम सबके जीवन में एक दुविधा आती है या यह कहे कि सदा रहती है कि सत्य क्या है या असत्य क्या है हम सब सोचते हैं जिसे हमने अपने कानों से सुना है, आंखों से देखा है, जिसे अपनी इंद्रियों से जाना है क्या वही सत्य है क्या सच में यही सत्य है यह भी तो हो सकता है हमने देखा, सुना, जाना वह असत्य का प्ररूप हो विचित्र पहली है हेना क्या मन में जो है वह सत्य हैं नहीं क्योंकि मन तो कल्पना को भी सत्य मान लेता है तो सत्य है क्या आप सोचिए सत्य वह नहीं जिसमें हमारा हानि, लाभ छुपा हो सत्य वह नहीं जिसे तोड़ा या मरोड़ा जा सके सत्य वह है जिसमें जीव मात्र का कल्याण छुपा हो सत्य वह है जिसमें कटाव ना हो जिसमें प्रेम हो सत्य वह है जिसमें स्वादत हो जिस प्रकार शरबत कभी कड़वा नहीं हो सकता उसी प्रकार सत्य भी तीखा, कटूट या चोट पहुंचाने वाला नहीं हो सकता है| इसी नाते कभी-कभी असत्य भी सत्य का भी एक रूप होता है इसलिए जीवन में सत्य बोलना चाहिए|

8.    सराफ ही वरदान है और वरदान ही सराफ है :- 

                                                                            मनुष्य का सबसे बड़ा गुण यह है कि वह सदा अर्थक परिश्रम करता है मनुष्य की सबसे बड़ी त्रुटि यही है कि वह सदा छोटा मार्ग चुनता है कदाचित इसीलिए वह वरदान चाहता है कदाचित इसलिए वह सराफ से भैय खाता है परंतु जय- विजय, हानि- लाभ की भांति सराफ और वरदान केवल भाव मात्र है कब कौन सा वरदान सराफ बन जाए और कौन सा सराफ वरदान में सिद्ध हो जाए यह केवल मनुष्य के कर्मों पर निर्भर करता है विष पीकर भगवान शंकर महादेव हो गए और अमृत पान के भी राहु केतु असुर रहगऐ यह सब खेल है केवल भाव का और कर्मों का और लक्ष्य उच्चीत हो तो सराफ को वरदान बनते देर नहीं लगती और कार्य अनुचित हो तो वरदान भी सराफ बन जाता है इसलिए मनुष्य को अपने सही लक्ष्य लेकर चलेंगे और सही कर्मो के साथ जीवन को बिताऐ तो आपका जीवन सफल हो जाएगा उसका फल भी अच्छा मिलेगा

9.    विपरीत परिस्थितियों में :- 

                                        विपरीत परिस्थितियों में मनुष्य को क्या करना चाहिए एक प्रभुत्व मनुष्य तो यही कहेगा कि हमें उसका सामना करना चाहिए हेना, परंतु इस विषय में मेरा विचार तनीक भिन्न हैं परिस्थितिया जब अधिक प्रतिकूल हो और संघर्ष में विजय कि नहीं प्रिय जनों के विध्वंस की संभावना हो तो संघर्ष थोड़ा पीछे होकर सही समय आने की प्रतीक्षा करनी चाहिए और साथ ही तैयारी भी जैसे मरुस्थल के पौधे अपने बीजो पर आवरण लगाकर उन्हें सुरक्षित रखते हैं ताकि वर्षा की फुवार आने पर वह फल फूल सके ठीक उसी प्रकार अज्ञातवासी होना भी उच्चीत है और रण छोड़ देना उचित है चुकी बिना तैयारी का युद्ध आत्मघाती ही होता है इसलिए मनुष्य को परिस्थितियों का सामना करने के बजाय उसके अनुसार जीऐ और सही समय आने का इंतजार करना चाहिए और परिस्थितियों के अनुसार अपनी तैयारी रखनी या करनी चाहिए जिससे जीवन को सफल बनाएं|

10.    शक्ति का उचित प्रयोग :- 

                                        संसार का नियम है कि वह शक्ति से संचालित होता है  सूर्य में तेज है इसीलिए उसकी पूजा की जाती है चंद्रमा में आलोक है इसलिए उसी रात्रि का देव माना जाता है| शक्ति से सभी आकर्षित होते हैं परंतु कभी-कभी यही शक्ति समस्या का कारण भी बन जाती है क्योंकि शक्तिशाली वह भी हो सकता है जिसका मनत्वीय शुभ ना हो जिसका मन बुरा हो और ऐसे में यदि उस शक्ति के प्रति संतान का  आकर्षण बढ़ जाए तो माता-पिता क्या करें माता- पिता का कर्तव्य यही बड़ जाता है इसीलिए बालकों को सिखाऐ वास्तविक शक्ति वही है जो शुभ करें जो विकास करने में सक्षम हो विध्वंस में नहीं शक्ति का उचित प्रयोग करना ही बालकों को सिखाना ही माता-पिता का उचित धर्म है|



No comments:

Post a Comment

माँ की ममत्व की पहचान

 माँ की ममत्व की पहचान :- एक स्त्री का जन्म लेने का जीवन सफल जब होता है| जब वह मां बनती है एक स्त्री के लिए मां बनने का सुख इस संसार का सबसे...

Share Post

Share Post